0
0
ना रहने को छत ,
ना पीने को पानी ,
ना खाने को अन्न,
ना पढ़ने के लिए पैसे,
अनगिनत हैं इनके गम!
मजबूर हैं ये औलादें भीख मांगने को,
मजबूर हैं ये औलादें रातभर तड़पने को….
फर्ज़ बनता है जनता का ,
इनके दुःख को दूर करने का…..
खुदा भी रो पढ़ेगा इनके हालात देख कर!
मदद वाले जब लाखों हाथ आगे आएंगे ,
खुद की तस्वीर ये वंचित बदलते हुए देखेंगे..
जब बदलेगी इनकी तस्वीर, तब बढ़ेगा ये देश…..
Penned by – RADHIKA DHASMANA
Isiliye toh baccho par noor barasta hai
Shararate krte hain, saajishe nhi…